Jul30 कहानी Posted on July 30, 2015 by Kalamwali Bai Standard एक कहानी ऐसी है जो आंसू बन के भर आये, हमने पलके खुली रख दी की आँखों से वह टपक न जाये, धुंदली सी नज़र लिए फिरती हूँ अब शाम-सहर कुछ फर्क न लाये।